बस्ती। प्रेस क्लब सभागार में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में चल रहे ग्रीष्मकालीन लोकगीत कार्यशाला में प्रशिक्षार्थियों ने गुरुवार को शानदार प्रस्तुति दी। 15 दिवसीय कार्यशाला में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आये प्रतिभागी बालक, बालिकाओं, महिलाओं ने पारंपरिक लोकगीतों की बारीकियां सीखी, मंच पर शानदार प्रस्तुति दी।
प्रसिद्ध लोकगायिका एवं प्रशिक्षिका रंजना मिश्रा के निर्देशन में प्रतिभागियों को बनारसी कजरी, झूला, सोहर, विवाह गीत, सुराजी गीत, गारी गीत,रसिया गीत आदि कई लोक विधाओं का प्रशिक्षण दिया गया। सभी प्रतिभागियों ने सामूहिक प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया।

अंशिका, शैलजा, नव्या, सदरे आलम, शैलेश, सूरज ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शशि, नीलू, क्षमा, अनन्या, शुभम गुप्ता, नितेश, रणविजय, अरविंद, पारुल आर्या ने सोहर गीत गाया। वंदना मिश्रा, सविता पाण्डेय, नीलम सिंह, पंखुड़ी मिश्रा, ललिता श्रीवास्तव, सरिता शुक्ला, शैलजा, अमिता गुप्ता, कंचन गोयल, अनिका मिश्रा ने बनारसी कजरी नथुनिया से बूंद टपके गाकर लोगों का मन जीत लिया। अंशिका सिंह, सिद्धि, विवेक, आयुषी, आशुतोष, रोली, आकांक्षा, शिवम, सौम्या, दिव्यानी, शशि, अनय मिश्रा ने सुरजी गीत ‘चालू रहे चरखा चालू रहे’ गाया। नव्या, शशि, प्रमोद, सरिता शुक्ला शिवम, उषा कुशवाहा ने गारी गीत ‘खाना खा लो हमारे नए रिश्तेदार’ गाया जिसकी लोगों ने जमकर प्रशंसा की। अंत में सविता, अंशिका,नीलू स्वरांग, रणविजय, नितेश, अभिषेक मिश्र तथा शैलेश ने रसिया गीत गाकर कार्यक्रम में शमां बांध दिया।

मुख्य अतिथि नगर पंचायत नगर के अध्यक्ष प्रतिनिधि राना दिनेश प्रताप सिंह ने लोक गीतों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं। महर्षि वशिष्ठ की धरा पर यह कार्यशाला आयोजित की गई इसके लिए पूरा आयोजन मंडल बधाई और धन्यवाद का पात्र है। प्रशिक्षिका रंजना मिश्रा ने कहा कि लोकगीत हमारी मिट्टी की खुशबू हैं, जो समाज के रीति-रिवाज, प्रेम, पीड़ा और संघर्ष को जीवंत रूप में व्यक्त करते हैं। कार्यक्रम का संचालन कर रहे पं. ज्वाला प्रसाद संगीत सेवा संस्थान के प्रबंधक व प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह लोकगीत कार्यशाला हमारे समृद्ध लोकगीत परंपरा को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक सार्थक प्रयास है।
पं. ज्वाला प्रसाद संगीत सेवा संस्थान के सचिव संतोष श्रीवास्तव, संगीत शिक्षक राजेश आर्य ने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल सांस्कृतिक विरासत को संजोने में मदद मिलती है, बल्कि युवाओं में अपनी जड़ों से जुड़ाव भी गहरा होता है। संगीत शिक्षिका कु. ज्योति, रंजना अग्रहरि ने कहा कि कार्यशाला ने यह सिद्ध किया कि लोक संस्कृति आज भी जनमानस के हृदय में जीवित है। कार्यशाला को डॉ. वीके वर्मा, डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने भी संबोधित किया। वाद्य यंत्र पर हाशिम, रवि कुमार ने योगदान दिया। रामानंद पगड़ी बाबा, सौम्या, अनुराग श्रीवास्तव, लवकुश सिंह, अशोक श्रीवास्तव व अन्य मौजूद रहे।
