मनुष्य के समस्त इच्छाओं को पूरा करती है श्रीमद्भागवत कथा

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बस्ती । बेलगड़ी में आयोजित 9 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य संदीप शरण शुक्ल ने भागवत कथा की महिमा का वर्णन किया। कहा कि भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य के समस्त इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। इसके लिए मनुष्य को निर्मल भाव से कथा सुनने और सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। मनुष्य से गलती हो जाना बड़ी बात नहीं। लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है। कहा कि सत्य को समर्पित करने वाला ही सत्ता का अधिकारी है। सत्य स्वरूप परमात्मा के प्रति जब जीव का समर्पण होता है तभी कर्तव्य का ज्ञान होता है। कलयुग के प्रवेश, धर्म के दुःखी होने, नारद के प्रयास और परमात्मा के अवतारों का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि भागवत कथा के श्रवण से वासना की ग्रन्थियां टूटती है। वैकुण्ठ में जो आनन्द है वही भागवत कथा में मिलता है। मंगलाचरण के महत्व का विस्तार से वर्णन करते हुये कहा कि सत्कर्मो में अनेक विघ्न आते हैं। भगवान शिव का सब कुछ अमंगल है किन्तु उनका स्मरण मंगलमय है। उन्होने काम को जलाकर राख कर दिया, मनुष्य जब तक सकाम है उसका मंगल नहीं होता। ईश्वर के अनेक स्वरूप हैं किन्तु तत्व एक है। ध्यान करने से ईश्वर और जीव का मिलन होता है। जगत की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश भी लीला है। कृष्ण गांधारी से मिलने गये तो गांधारी ने उन्हें शाप दिया कि तुम्हारे बंश में कोई भी नहीं रहेगा। इसमें भी श्रीकृष्ण आनन्दित है।आत्मदेव, गोकर्ण, धुन्धकारी और मंगलाचरण प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि मांगने से प्रेम की धारा टूट जाती है। प्रभु से कुछ मत मांगो, ईश्वर को अपना ऋणी बनाओ। ईश्वर पहले हमारा सर्वस्व ले लेते हैं और फिर अपना सर्वस्व हमें दे देते हैं। गोपियांे ने भगवान से कुछ नहीं मांगा, गोपियों का प्रेम शुद्ध है। वे जब भी भगवान का स्मरण करती हैं तो ठाकुर जी को प्रकट होना पड़ता है।श्रीमती आशा शुक्ला और अष्टभुजा प्रसाद शुक्ल ने परिजन और श्रद्धालुओं के साथ कथा व्यास का विधि विधान से पूजन अर्चन किया। रामचन्द्र शुक्ल, श्रीमती सरोज शुक्ला की स्मृति में आयोजित कथा में दुर्गा प्रसाद शुक्ल, डाॅ० जगदम्बा प्रसाद शुक्ल, डाॅ. अम्बिका प्रसाद शुक्ल, अखिलेश कुमार शुक्ल अजय कुमार शुक्ल, आनन्द कुमार शुक्ल, विशाल शुक्ल, अभिषेक शुक्ल, आंजनेय शुक्ल, अमित शुक्ल, डाॅ० मारूति शुक्ल, सर्वज्ञ शुक्ल, सूर्याश शुक्ल मंगलम शुक्ल, आदित्य शुक्ल, आराध्य शुक्ल, शिवाय शुक्ल, अच्युत गोविन्द शुक्ल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।