Basti: अकीदत के साथ निकाला गया मोहर्रम की सातवीं का जुलूस

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बस्ती। नगर पंचायत नगर बाजार मे मोहर्रम की सातवीं का जुलूस पूरी अकीदत के साथ निकाला गया। हजरत कासिम की याद मे निकाले गए जुलूस मे सैकड़ों मुस्लिमजन या अली,या हुसैन के नारे लगाते हुए शामिल हुए। मुस्लिम समुदाय द्वारा जगह जगह शर्बत,दूध,व मिष्ठान वितरण किया गया।
कारी नूर आलम ने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि इस्लामी साहित्य के अध्ययन से पता चलता है कि जेहाद का मतलब सिर्फ लड़ाई नही है बल्कि ऐसे नियमों और बुराईयों से जंग है जो इंसान और इंसानियत के खिलाफ हो।कर्बला के जंग के जरिए पैगंबर के नवासे ने पूरी दुनिया को यह पैगाम दिया कि ज़ालिम कितना भी ताकतवर हो उसकी नाइंसाफी को स्वीकार नही किया जाना चाहिए।
मौलाना जकी ने कर्बला के शहीदों पर प्रकाश डाला और कहा कि मोहर्रम की सातवीं तारीख को कर्बला में एक ऐसी घटना हुई, जिसने इमाम हुसैन और उनके कारवां की तकलीफों को और बढ़ा दिया। यज़ीद की सेना ने फरात नदी तक उनकी पहुंच को पूरी तरह रोक दिया। इसका मतलब था कि इमाम हुसैन, उनके परिवार, और उनके साथी अब पानी से वंचित थे। गर्म रेगिस्तान में, बिना पानी के, बच्चों, औरतों और बूढ़ों की हालत बद से बदतर होती गई। छोटे-छोटे बच्चे, जैसे इमाम हुसैन का छह महीने का बेटा हजरत अली असगर प्यास से तड़प रहे थे।सातवीं मोहर्रम का जुलूस इस प्यास, इस तकलीफ, और इस बलिदान की याद में निकाला जाता है। यह दिन उस अटल विश्वास और धैर्य को दर्शाता है, जो इमाम हुसैन और उनके साथियों ने दिखाया। उन्होंने पानी की एक बूंद के लिए भी यज़ीद के सामने सिर नहीं झुकाया। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के लिए खड़े होने का रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन उसका महत्व अनंत है।