मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत सिराजुल में भव्य जलसे , दस्तारबंदी का आयोजन

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बस्ती। विकास क्षेत्र सल्टौआ गोपालपुर के ग्राम पंचायत पुरैना के मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत सिराजुल परिसर में भव्य जलसे एवं दस्तार-ए-बंदी का आयोजन किया गया। जलसे में देश प्रदेश के नामी गिरामी उलमा-ए-कराम, शायरों ने पहुँचकर नज्म पेश किया। तकरीर व शायरी के माध्यम से इस्लाम के बंदो को जागरूक किया।

इल्म ऐसा हथियार हैं, जिसे न कोई चुरा सकता हैं, न कोई खरीद सकता


    कार्यक्रम का शुभारम्भ दारूल उलूम अलिमियां निश्वां के प्रधानाचार्य हजरत अल्लामा मौलाना मोहम्मद फारूख निज़ामी ने किया। कहा कि मालदार वो हैं,  जिसके पास इल्म हैं। शिक्षा तरक्की का शार्टकट वह रास्ता हैं जिससे दुनिया की वो सारी दौलत, तरक्की पायी जाती हैं। कहा कि ऐ मुस्लमानों अपने बेटों को पेंटर, डेंटर, मैकेनिक, कुली आदि बाद में बनाना, पहले उन्हें दीनी तालिम दिलाकर इंसान बनाओं। उनके मन-मस्तिक में इल्म की रौशनी को रौशन करों। तुम्हारें यहीं बच्चें आगे चलकर आईएएस, पीसीएस, डॉक्टर, इंजीनियर व नेता बनेगें। कहा कि जिसने भी इल्म को हासिल कर लिया हैं, वह अल्लाह को पा लेता हैं। जो इंसान अपने इल्म व रहनुमाओं की इज्जत करता हैं, उसे दुनिया में सम्मान व शेहरत हमेशा ही मिलती रहती हैं। जिन्हें इल्म नहीं मिल पाता हैं, उन्हें जिल्लत व जलालत भरी जिंदगी जीनी पड़ती हैं।

पत्थर का जबाब पत्थर से नहीं अपने इल्मी मोहब्बत से दें


अल्लामा सैय्यद मोहम्मद अवेश मियां ने कहा कि जलसे का मतलब होता हैं दीन से अंजान लोगों को दीन की अच्छी बातें बताकर उन्हें जागरूक करना। उन्हें उनकी जिम्मेंदारियों को बतलाकर दीनी तालिम, इल्म, रोजी, रोजगार के प्रति जागरूक किया जाता हैं। कहा कि पत्थर का जबाब पत्थर से नहीं अपने इल्मी मोहब्बत से दें। अपने पैसे को कैफे पर नहीं दीन , यतीमों, गरीबों, समाज व देश की तरक्की पर खर्च करें। अपने समाज की गरीब बेटियों से बिना किसी भेदभाव, दहेज के उनसे निकाह करें। जिससे कि कोई बॉप, बेटी पैदा करने का फक्र महसूस कर सकें। बेटी की शादी के लिए कोई भी बॉप अपने खेत, खलिहान, घरद्वार को  गिरवी न रखने न पाएं। कहा कि जलसे से जब आप अपने घर जाय तो एक अच्छा मुसलमान, एक अच्छा इंसान, एक अच्छा सेहरी बनकर ही जाय।

एक दूसरे से प्यार, भाईचारा, अमन चमन का संदेश देने वाला धर्म है इस्लाम


सुल्तानपुर जिले के मोहम्मद मुख्तारूल हसन बगदादी सैफुल हदीश, हजरत मौलाना कमाल अख्तर सैफुल अदब ने कहा कि इस्लाम एक दूसरे से प्यार, भाईचारा, अमन चमन का संदेश देने वाला धर्म हैं। कहा कि मोबाइल, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर पर अपना कीमती समय बर्वाद न कर, अपने इल्म पर अधिकतर समय दें।घर के झगड़े को घर से बाहर न जाने दें। मजहबी विवाद को अपने उलमा-ए-कराम के सहयोग से ही निबटा लेने की सलाह दिया। शायर हाफिज गुलाम रब्बानी, मौलवी समीरूल कादिरी, सादाब रजा कादरी, इरफान निजामी तनवीरी ने अपने अपने अंदाज में शायरी पेश कर वाहवाही लूटी।
हिफ्ज के छात्र मो. सुफियान, मो. आरिफ, मो. फरीद, मो. सादिक, मो. अनीस को साफा पहना कर दस्तार-ए-बंदी किया गया। जलसे का संचालन मौलाना मो. सोएब तनवीरी ने किया। जलसे की सदारत प्रधानाचार्य नियाज अहमद फैजी ने की।  अराकीन कमेटी के मो. आरिफ खान, हसन कप्तान, सफीक अहमद, मो. हददीश,जुमला निजामी मिशन का कार्यक्रम में विशेष सहयोग रहा।

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