राजा दशरथ ने अयोध्या के प्रवेश द्वार पर यहां किया था पुत्र कामेष्ठि यज्ञ

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बस्ती जिले के मखौड़ा धाम को भगवान राम के जन्म के कारक के रूप में जाना जाता है। अयोध्या के प्रवेश द्वार पर बसे बस्ती जनपद के हर्रैया तहसील क्षेत्र स्थित मखौड़ा धाम में ही राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि यज्ञ किया था। इसके बाद राजा दशरथ के चार पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न का जन्म हुआ था। मखौड़ाधाम को ऋषियों की तपोभूमि होने का गौरव प्राप्त है। आज भी  लोग यहां पुत्र की कामना लेकर अनुष्ठान करने देश के कोने-कोने से आते हैं।

त्रेता युग में ऋषियों नेे यज्ञ और धात्मिक अनुष्ठान के लिए चुना सर्वाेत्तम भूमि

हर्रैया तहसील क्षेत्र का मखौड़ा धाम पौराणिक स्थली है। त्रेता युग में ऋषियों ने इस स्थान को यज्ञ और धात्मिक अनुष्ठान के लिए सर्वाेत्तम भूमि के रूप् में चुना था। जब महाराज दशरथ को उम्र के चौथेपन तक संतान की उत्पत्ति नहीं हुई तो समूचा राजपरिवार चिंतित हो गया। राजगुरु, ऋषि, मुनियों के साथ प्रजा भी चिंतित रहने लगी। राजा दशरथ ने कुलगुरू महर्षि वशिष्ठ को अपनी चिंता बताया तो उनके द्वारा उन्हें पुत्र कामेष्ठि यज्ञ संपन्न कराने की सलाह दी गई। ऋषियों ने इस विशेष यज्ञ के लिए पावन भूमि की खोज शुरू की, जो मखक्षेत्र में आकर समाप्त हुई। कुलगुरु महर्षि वशिष्ठ और विश्वामित्र जी ने भूमि शोधन करने के बाद इसे अनुष्ठान के लिए सर्वाेत्तम भूमि बताया। इसके बाद यहां श्रृंगीऋषि की मदद से पुत्र कामेष्ठि यज्ञ संपन्न कराने की तैयारी शुरू हुई।

महर्षि उद्दालक ने तर्जनी उंगली से तालाब से खींची रेखा, जिसे मिली मनोरमा नदी की मान्यता

यज्ञ के लिए सर्वाेत्तम भूमि का चयन होने के बाद पवित्र जल के आचमन से यज्ञ संपन्न होने की समस्या आई। जिस पर गुरु वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को सलाह दी कि यज्ञ भूमि के सन्निकट तिरें तालाब पर तपस्यारत महर्षि उद्दालक जी की शरण में जाएं तो निदान अवश्य होगा। इसके बाद राजा दशरथ महर्षि उद्दालक जी की शरण में पहुंचे, उनसे अनुनय विनय किया, जिस पर प्रसन्न होकर उन्होंने तालाब से अपनी तर्जनी उंगली से एक रेखा खींची, जिसे मनोरमा नदी के रूप में मान्यता मिली। इसी कारण इसे गंगा की सातवीं धारा व उद्दालिकी गंगा नाम से पुराणों में स्थान मिला।

रानियों ने ग्रहण किया यज्ञ प्रसाद,हुआ राम,लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न का जन्म

यहां पर यज्ञ संपन्न होने के बाद प्राप्त हव्य यानी प्रसाद को राजा दशरथ की तीनों रानियों को समान भाग में सेवन के लिए बांटा गया। जिसमें से एक तिहाई हव्य का अंश महारानी कौशल्या, कैकई ने अपने से छोटी रानी सुमित्रा को छोटी बहन के रूप में दे दिया। जिसके फलस्वरूप महारानी कौशल्या से राम, कैकई से भरत तथा हव्य का ज्यादा हिस्सा सेवन करने के सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुध्न का जन्म हुआ। यह भी कहा जाता है कि राजा दशरथ और कौशल्या जी की बेटी शांता जो श्रृंगीऋषि की पत्नी थी, उन्होंने यज्ञकुंड से बाहर खीर का बर्तन निकाला, जिसे श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ को दिया। उसे अपनी तीनों रानियों के बीच वितरित करने की सलाह दी। राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्ठि यज्ञ संपन्न होने के बाद प्राप्त प्रसाद (खीर) को अपनी रानियों को दिया। पुत्र कामेष्ठि यज्ञ के उपरांत मिले प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही राजा दशरथ के चारों पुत्रों का जन्म हुआ। मखौड़ा धाम में चौत्रमास की पूर्णिमा को वार्षिक मेला लगता है। अमोढ़ा धाम के पास ऐतिहासिक राम रेखा मंदिर भी है, जिसे राजा जालिम सिंह के राज्य अमोढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। यहां सड़क मार्ग से जाया जा सकता है। अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के निर्माण, राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मखौड़ा धाम को विकसित करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। भगवान राम के जन्म के कारक मखौड़ा धाम के महत्व से परिचित कराने की दिशा में सरकार ने पहल की है जिससे इस गौरवशाली स्थल से पूरा देश परिचित हो सके।