बोले डॉ.संजय निषाद – अब सिर्फ़ वोट नहीं देगा, नेतृत्व और विकास की दिशा भी तय करेगा मछुआ समाज

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बस्ती। अटल बिहारी बाजपेयी प्रेक्षागृह में आयोजित मत्स्यपालक मेला में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि मछुआ समाज अब सिर्फ़ गिनती में नहीं, नीति निर्धारण में अपनी भूमिका दर्ज करेगा। कहा कि निषाद पार्टी की स्थापना कोई संयोग नहीं, बल्कि सदियों से वंचित मछुआ समाज के संघर्ष की परिणति है। कहा कि आज एनडीए की राज्य व केंद्र सरकार मछुआ समाज को सिर्फ़ गरीब नहीं, सम्मानित नागरिक के रूप में देख रही है।
कहा कि निषाद पार्टी की स्थापना एक आंदोलन था उन समुदायों के हक़ के लिए जिन्हें दशकों तक केवल वोट बैंक समझा गया। अब मछुआ समाज को आरक्षण, सुरक्षा और सम्मान तीनों एक साथ मिलने चाहिए।

कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार मिलकर मछुआ समाज के जीवन में वास्तविक बदलाव ला रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मत्स्य योजना,जीवित मत्स्य परिवहन अनुदान योजना,ब्याज मुक्त ऋण योजना,दुर्घटना बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और निषाद राज बोट योजना जैसी योजनाएं समाज के आर्थिक उत्थान की रीढ़ बन रही हैं।जातीय जनगणना सिर्फ़ आंकड़ों की बात नहीं, यह हक़ और प्रतिनिधित्व की बात है। जब तक मछुआ समाज की वास्तविक जनसंख्या की गणना नहीं होगी, तब तक हमें योजनाओं में हमारा हक़ नहीं मिलेगा। कहा कि मछुआ समाज की सभी उपजातियों को अनुसूचित जाति की सूची में परिभाषित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उन्हें शिक्षा, नौकरी और विकास के अवसर मिल सकें।
कहा कि समाजवादी एजेंडे पर काम करने वाले कुछ अधिकारी और नेता मछुआ समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की उपेक्षा कर रहे हैं। ये वे लोग हैं जो न तो मछुआ समाज के आरक्षण से जुड़े संवैधानिक तथ्यों की परवाह करते हैं, न ही इस समाज की शिक्षा, नौकरी, बहन, बेटियों के सुरक्षा की।
मझवार, तुरैहा, तारमाली, पासी सहित 17 उपजातियों को तत्काल एससी प्रमाण पत्र जारी करने, ओबीसी सूची से नाम हटाकर अनुसूचित जाति में गिनती कराने का आदेश जारी किये जाने, केंद्रीय आईजीआरएस द्वारा स्पष्ट स्पष्टीकरण के बाद भी रोक लगाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करने, भाजपा के मछुआ विजन डॉक्यूमेंट को नीति के रूप में लागू किये जाने की मांग किया। कहा कि देश में अधिकतर राज्यों में मछुआ समाज को अनुसूचित में होने का लाभ मिलता है, जबकि उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत अनुदान मिलता है, जिससे मछुआ समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस करता है। इस विसंगति को दूर किया जाना चाहिए। कहा कि हम मछुआ समाज को संविधान में दर्ज करवा कर उसकी ताकत का एहसास दिलाकर रहेंगे। यह समाज अब सिर्फ़ वोट नहीं देगा, अब नेतृत्व करेगा, नीति बनाएगा और अपने अधिकारों को लेकर जागरूक रहेगा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मछुआ समाज के लोग, पार्टी पदाधिकारी कार्यकर्ता शामिल रहे।

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