भाजपा नेता ने की बीडीए के डीपीआर अनुसार टाउन क्लब का निर्माण कराने की मांग
बस्ती। टाउन क्लब को एक परिवार के काकश से टाउन क्लब भले ही मुक्त हो गया, लेकिन उसकी तस्वीर नहीं बदली। उसे जन उपयोगी बनाने की कवायद की गई, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते उसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। कहने को यहां आचार्य राम चन्द्र शुक्ल के नाम पर पुस्तकालय बना दिया गया, लेकिन उसका भी लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है।वरिष्ठ पत्रकार एवं भाजपा प्रदेश कार्य समिति सदस्य राजेन्द्रनाथ तिवारी ने जिलाधिकारी को पत्र देकर टाउन क्लब को अतिक्रणकारियों से बंचाने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील किया है। जिलाधिकारी को दिये पत्र में कहा है कि बड़ी मशक्कत के बाद शहर के मध्य स्थित टाउन क्लब को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया गया था। उद्देश्य था कि टाउन क्लब जनपद के विकास व जनोपयोगी प्रयोजनों में सहायक होगा किन्तु यह उद्देश्य प्रशासन की उदासीनता के चलते हाशिये पर है। इतना ही नहीं एक बार फिर इस पर अवैध अतिक्रमण हो रहा है। मांग किया है कि बस्ती विकास प्राधिकारण द्वारा तैयार किये गये 20 करोड़ के डीपीआर अनुसार यहां निर्माण कार्य शुरू कराया जाय, जिससे शहर की बेहतरी और जन सामान्य के लिए यह उपयोगी साबित हो सके। भाजपा नेता ने लम्बी अवधि तक टाउन क्लब के कामर्शियल उपयोग कर की गई करोड़ों रूपये के आय की रिकवरी भी कराने की भी मांग किया है।बता दें कि टाउन क्लब पर करीब 65 वर्ष तक एक रसूखदार परिवार का कब्जा रहा। टाउन क्लब को मुक्त कराने की अनेको बार मांग उठी, लेकिन उसे मुक्त नहीं कराया जा सका। कब्जे को लेकर रसूखदार परिवार आपस में ही भिड़ गया और मामला कोर्ट में चला गया। करीब पांच साल पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी डाॅ. राजशेखर की पहल पर टाउन क्लब का भवन प्रशासन के कब्जे में आया। अब तक भवन पर मालिकाना हक नकारने वाली नगर पालिका को याद आया कि टाउन क्लब उसका है। प्रशासन ने टाउन क्लब को मुक्त कराकर उसे नगर पालिका को सौंप दिया। तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने इसके कायाकल्प को लेकर काफी प्रयास किया, लेकिन इसका कायाकल्प नहीं हो पाया। उनके स्थानांतरण के बाद जिम्मेदारों ने इस स्थल से मुंह फेर लिया। वर्षों तक निजी हाथों में रहे टाउन क्लब में मैरेज हाल चला। टाउन क्लब को मुक्त कराने के बाद यहां आचार्य रामचंद्र शुक्ल के नाम से पुस्तकालय भी खोला गया। लेकिन यह पुस्तकालय भी मात्र खानापूर्ति तक सीमित रहा। इस बीच टाउन क्लब पर दावेदारी को लेकर मामला कोर्ट में चला गया और उसे संवारने का जो खाका तैयार किया गया था उसकी रफ्तार मंद पड़ गई।
